उत्तराखंड

Uttarakhand On High Alert UCC : आज पेश होगा यूसीसी, हाईअलर्ट पर उत्तराखंड

Uttarakhand On High Alert UCC : उत्तराखंड की विधानसभा में मंगलवार को दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे। इसमें समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी और राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण विधेयक शामिल हैं। इसमें यूसीसी को लेकर सदन में आज चर्चा भी होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्र के पहले दिन ही इसकी घोषणा करते हुए विपक्षी कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी विधायकों से राष्ट्र तथा प्रदेश हित में यूसीसी समर्थन करने की अपील की थी।

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक को लागू करने का वादा किया था। इसके लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित की गई। करीब दो वर्ष की खुली बैठकों में आम जनता से विचार और सुझाव एकत्र कर अपनी सिफारिश गत फरवरी को राज्य सरकार के सुपुर्द किया था। इसे चार फरवरी को मंत्रिमंडल की बैठक में सदन में रखने पर सहमति दी गई थी।
समान नागरिक संहिता के विरोध में विशेषकर मुस्लिम सम्प्रदाय के नेताओं ने लगातार बैठकें आयोजित की हैं। इसे देखते हुए प्रदेश में शान्ति व्यवस्था के लिए पुलिस को अलर्ट मोड में रखा गया है।

यूसीसी में किए गए हैं ये प्रावधान

1. हलाला, इद्दत, तीन तलाक सजा योग्य अपराध।
2.धर्मों में शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 होनी चाहिए। (देश में शादी के लिए निर्धारित उम्र 18 और 21 ही है। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ यौवन प्राप्त कर चुकी किसी भी लड़की की शादी के योग्य मानता है।)
3. एक से अधिक विवाह पर रोक की भी सिफारिश। अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी के दायरे से छूट का सुझाव।
4. विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
5. पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे।
6. लिव इन रिलेशनशिप के मामले में रजिस्ट्रेशन/सेल्फ डिक्लरेशन को अनिवार्य किया जाए।
7. उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा।
8. नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
9. पत्नी की मृत्यु होने पर उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
10. सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी। बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसान होगी।

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