उत्तराखंड: पीएम मोदी का उपहार, अजय टम्टा दूसरी बार केंद्रीय कैबिनेट में
2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड से लगातार तीसरी बार विजयी होने वाले अनुभवी नेता अजय टम्टा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में शामिल करके एक बार फिर से क्षेत्रीय, जातीय और राजनीतिक समीकरण साधने का प्रयास किया है। अजय टम्टा की नियुक्ति ने उत्तराखंड के सियासी परिदृश्य में एक नई दिशा और उम्मीदें जगाई हैं।
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीन बार जीतने वाले अजय टम्टा ने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं। 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें कपड़ा राज्यमंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। उनके काम और प्रतिबद्धता ने उन्हें एक टेस्टेड चेहरा बनाया है, जो केंद्र में अपने कार्यों से प्रभावशाली भूमिका निभा चुके हैं।
उत्तराखंड में भाजपा की सत्ता में दलित वर्ग के प्रभावी प्रतिनिधित्व की कमी को भरने के लिए अजय टम्टा की नियुक्ति एक रणनीतिक कदम है। उनके दलित समुदाय से होने के कारण केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें कैबिनेट में शामिल करके जातीय संतुलन साधने का प्रयास किया है। इसके साथ ही, कुमाऊं क्षेत्र से होने के नाते क्षेत्रीय संतुलन को भी बनाए रखा गया है। कुमाऊं से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पहले से ही सरकार चल रही है, ऐसे में अजय टम्टा की नियुक्ति से क्षेत्रीय नेतृत्व को भी मजबूती मिली है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अजय टम्टा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नजदीकी का भी लाभ मिला है। धामी भी टम्टा के संसदीय क्षेत्र की चंपावत विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुख्यमंत्री को चार दिन पहले ही नई दिल्ली बुलाया गया था, जिससे यह संकेत मिला कि केंद्रीय नेतृत्व ने उनसे फीडबैक जरूर लिया होगा। टम्टा का नाम तय होने से साफ है कि मुख्यमंत्री की राय को तरजीह दी गई।
लोकसभा चुनाव प्रचार में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऋषिकेश आए थे, तो उन्होंने देवभूमि के लोगों से पांच कमल मांगे थे। पांच सीटें जिताकर उत्तराखंड ने पीएम को अपना तोहफा दे दिया। हालांकि, बदली हुई परिस्थितियों में गठबंधन की सरकार गठन की संभावना के बीच उत्तराखंड को पीएम से रिटर्न गिफ्ट मिलने की संभावनाएं फिफ्टी-फिफ्टी थी, लेकिन टम्टा को मंत्री बनाकर पीएम ने राज्य की मुराद पूरी की। यह कदम उत्तराखंड के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश है और इससे भाजपा को राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी।
केंद्र में मंत्री बनाए जाने की सबसे अधिक संभावनाएं गढ़वाल संसदीय सीट से चुने गए अनिल बलूनी की थी। रक्षा राज्यमंत्री राजनाथ सिंह ने तो चुनाव प्रचार में उन्हें मंत्री बनाने के संकेत भी दिए थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने कैबिनेट के लिए टम्टा को चुना। यह निर्णय क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को बनाए रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वर्तमान में कुमाऊं क्षेत्र से पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं और क्षत्रिय हैं। उनके मंत्रिमंडल में कुमाऊं से दो कैबिनेट मंत्री हैं। गढ़वाल से भाजपा की कमान ब्राह्मण चेहरे महेंद्र भट्ट के हाथों में हैं, जो अब राज्यसभा सदस्य भी हैं। ओबीसी का प्रतिनिधित्व राज्यसभा सदस्य कल्पना सैनी और वैश्य समाज का राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल करते हैं। दोनों ही सांसद गढ़वाल मंडल से हैं। धामी मंत्रिमंडल में सतपाल महाराज, प्रेमचंद अग्रवाल, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत गढ़वाल मंडल का प्रतिनिधित्व करते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण भी गढ़वाल से ही हैं। इस लिहाज से केंद्रीय नेतृत्व ने कुमाऊं मंडल के दलित चेहरे को मौका दिया।
अजय टम्टा की केंद्रीय कैबिनेट में नियुक्ति से स्पष्ट है कि भाजपा ने उत्तराखंड के जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को साधने के साथ-साथ दलित वर्ग के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने का प्रयास किया है। इससे न केवल उत्तराखंड में भाजपा की राजनीतिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि राज्य के विकास और समृद्धि के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम उत्तराखंड के राजनीतिक भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा निर्देश हो सकता है, जो राज्य की जनता के लिए एक सकारात्मक संदेश लेकर आया है।