उत्तराखंड

केन्द्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री की उच्च स्तरीय बैठक: उत्तराखंड की ऊर्जा एवं नगर विकास योजनाओं की समीक्षा

 

 

केन्द्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में राज्य की ऊर्जा और नगर विकास से संबंधित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई। इस बैठक में भारत सरकार के ऊर्जा एवं नगर विकास के उच्चाधिकारियों के साथ मुख्य सचिव और राज्य के संबंधित विभागों के उच्चाधिकारी भी शामिल थे।

 

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को प्रदेश की ऊर्जा जरूरतों से अवगत कराते हुए बताया कि 2123 मेगावॉट क्षमता की अलकनंदा और भागीरथी तथा उनकी सहायक नदियों पर विशेषज्ञ समिति द्वारा 21 जल विद्युत परियोजनाओं पर संस्तुति प्रदान की गई है। इनमें से 771 मेगावॉट की 11 परियोजनाओं पर किसी भी संस्था द्वारा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है और कुल 1352 मेगावॉट क्षमता की 10 जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण हेतु विशेषज्ञ समिति-2 द्वारा संस्तुति प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री ने इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु सकारात्मक निर्णय लिये जाने की अपेक्षा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जल विद्युत उत्पादन क्षमता का केवल 40 प्रतिशत ही उपयोग किया जा रहा है। राज्य को कुल चिन्हित 45 जल विद्युत परियोजनाओं में से पर्यावरण के दृष्टिगत 24 परियोजनाएं छोड़ दी गई हैं जबकि 21 परियोजनाओं के लिए समिति द्वारा संस्तुति दी जा चुकी है। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि इस संबंध में शीघ्र ही दिल्ली में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में ऊर्जा एवं जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी।

 

मुख्यमंत्री ने राज्य को जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण हेतु केन्द्रीय वित्तीय सहायता की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि राज्य में विद्युत की कमी और शेष विद्युत क्षमता के त्वरित गति से विकास के लिए विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी ड्राफ्ट जल विद्युत नीति के अंतर्गत उत्तराखंड राज्य को भी उत्तर पूर्वी राज्यों की तरह जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण हेतु केन्द्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से यह भी अपेक्षा की कि राज्य की वर्तमान एवं दीर्घकालिक बेस लोड विद्युत आवश्यकताओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के दृष्टिगत 1320 मेगावॉट क्षमता की कोल आधारित विद्युत परियोजना के निर्माण हेतु कोल लिंकेज का त्वरित आवंटन किया जाना चाहिए। साथ ही कोल आधारित परियोजनाओं से राज्य की बेस लोड विद्युत आवश्यकताओं की आपूर्ति हेतु 600 मेगावॉट का अतिरिक्त आवंटन किया जाना चाहिए।

 

मुख्यमंत्री ने राज्य में प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त हुई विद्युत संरचनाओं के मुआवजे हेतु प्रचलित मापदंडों के स्थान पर विद्युत संरचनाओं के पुनर्निर्माण में हुए वास्तविक व्यय की प्रतिपूर्ति किये जाने का अनुरोध किया। केन्द्रीय मंत्री ने इस विषय पर भी त्वरित कार्यवाही का आश्वासन दिया।

 

बैठक में केन्द्रीय मंत्री द्वारा निर्देश दिए गए कि राज्य की ऊर्जा जरूरतों और इस क्षेत्र में सुधार से संबंधित प्रस्तावों के साथ शहरी विकास से संबंधित प्रस्तावों को केन्द्र सरकार को प्रेषित किया जाए। उन्होंने राज्य हित से जुड़े विषयों पर त्वरित कार्यवाही का भी आश्वासन मुख्यमंत्री को दिया।

इससे पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी और अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन के साथ शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अपर सचिव सुश्री डी. तारा, श्री एस.पी. सिंह तथा संयुक्त सचिव ऊर्जा मंत्रालय श्री शशांक मिश्रा एवं श्री अफजाल, सचिव ऊर्जा श्री आर. मीनाक्षी.सुन्दरम, सचिव श्री चन्द्रेश यादव, अपर सचिव श्री नितिन भदौरिया के साथ हुई बैठक में भी राज्य से संबंधित योजनाओं पर आपसी चर्चा की गई।

 

उत्तराखंड राज्य की ऊर्जा और शहरी विकास की आवश्यकताओं को समझते हुए इस उच्च स्तरीय बैठक ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। केन्द्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं और सुझाए गए समाधानों से यह स्पष्ट है कि राज्य की ऊर्जा और शहरी विकास योजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग और तालमेल आवश्यक है। इस बैठक के सकारात्मक परिणामों की उम्मीद की जा रही है, जिससे उत्तराखंड राज्य की ऊर्जा और नगर विकास योजनाओं को नई दिशा और गति मिलेगी।

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