दस साल पुरानी हत्या का खुलासा: एसटीएफ की बेहतरीन रणनीति और हत्यारोपी की गिरफ्तारी
उत्तराखण्ड एसटीएफ ने एक दशक पुरानी हत्या की गुत्थी को सुलझाकर अपराधियों के विरुद्ध अपनी लगातार सफलता का एक और अध्याय जोड़ा है। अल्मोड़ा जिले में हुई इस हत्या का हत्यारा, नागराज उर्फ तिलकराज, पिछले दस वर्षों से फरार था और पुलिस के लिए एक पहेली बना हुआ था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ श्री आयुष अग्रवाल की नेतृत्व में एसटीएफ की टीम ने सटीक योजना और धैर्य के साथ इस केस को सुलझाया।
साल 2014 में अल्मोड़ा जिले के थाना लमगढ़ा में पुलिस को एक अधजला नरकंकाल मिला था। जांच के बाद, यह नरकंकाल गुलाब सिंह नामक व्यक्ति का निकला, जिसकी पहचान उसके भाई अमर सिंह ने की थी। गुलाब सिंह और नागराज उर्फ तिलकराज हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के रहने वाले थे और लीसे का काम करने के लिए अल्मोड़ा आए थे। लेकिन एक रात के बाद नागराज ने गुलाब सिंह की हत्या कर दी और शव को पहचान छुपाने के उद्देश्य से जलाकर छिपा दिया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ श्री आयुष अग्रवाल ने बताया कि अपराधियों को पकड़ने के लिए एसटीएफ की टीमें विभिन्न राज्यों में छापेमारी कर रही हैं और उनकी गहनता से तलाश कर रही हैं। नागराज के मामले में भी एसटीएफ ने महीनों की मेहनत और जांच के बाद उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की। एसटीएफ की टीम ने नागराज के बारे में मुम्बई में सूचना प्राप्त की, जहां वह “पाया सूपवार” में काम कर रहा था। टीम ने मुम्बई पुलिस के सहयोग से उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ के दौरान, नागराज ने स्वीकार किया कि उसने गुलाब सिंह की हत्या की थी क्योंकि एक रात दोनों के बीच हुई बहस में गुलाब सिंह ने उसे गंदी गाली दी थी। नागराज ने सरिया से गुलाब सिंह की गर्दन पर वार कर उसकी हत्या कर दी और शव को पहचान छुपाने के लिए जला दिया। इसके बाद, वह अपने गांव भाग गया और वहां से मुम्बई चला गया। मुम्बई में उसने कई वर्षों तक अपना नाम और वेष बदलकर विभिन्न होटलों में काम किया।
एसटीएफ की टीम ने महीनों की मेहनत और मैनुअल सूचनाओं के आधार पर नागराज की गतिविधियों का पता लगाया। निरीक्षक यशपाल विष्ट, उपनिरीक्षक धमेन्द्र रौतेला, हे०कां० कैलाश नयाल, हे०कां० विरेन्द्र नौटियाल, कां० अनिल कुमार, कां० अर्जुन सिंह रावत, कां० अनूप भाटी, और कां० देवेन्द्र कुमार ने मिलकर इस गिरफ्तारी को अंजाम दिया। टीम ने मुम्बई में नागराज को गिरफ्तार कर उत्तराखण्ड लाकर लमगढ़ा थाना में दाखिल किया।
यह सफलता उत्तराखण्ड एसटीएफ की निरंतरता, धैर्य और सटीक रणनीति का परिणाम है। इस गिरफ्तारी से न केवल दस साल पुरानी हत्या की गुत्थी सुलझी, बल्कि यह भी साबित हुआ कि अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून की पकड़ से बच नहीं सकता। एसटीएफ की टीम ने अपने समर्पण और मेहनत से एक बार फिर साबित किया कि न्याय की जीत हमेशा होती है।
इस घटना से समाज में एक सकारात्मक संदेश गया है कि पुलिस और एसटीएफ की टीमें हमेशा सजग हैं और अपराधियों को किसी भी कीमत पर सलाखों के पीछे भेजने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उत्तराखण्ड एसटीएफ का यह प्रयास प्रशंसनीय है और अन्य पुलिस बलों के लिए एक प्रेरणा है।