सोना बेचने पर टैक्स का विरोध, समाज सेवी संजय कनौजिया का बयान
आम बजट 2024-25 पारित होने के बाद से ही देश में विभिन्न वर्गों के लोगों में असंतोष का माहौल है। इस बजट में सोने और आभूषणों पर लगाए गए 12.5% टैक्स ने विशेष रूप से आम जनता, खासकर गरीबों के बीच चिंता बढ़ा दी है। इस विषय पर देहरादून के वरिष्ठ समाजसेवी संजय कनौजिया ने एक सशक्त विरोध प्रदर्शन किया है और सरकार पर आरोप लगाया है कि यह बजट आम जनता के हित में नहीं है, बल्कि कुछ विशेष पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है।
संजय कनौजिया ने अपने बयान में कहा, “यह बजट 140 करोड़ जनता के कल्याण के लिए नहीं, बल्कि कुछ पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करने के लिए बनाया गया है।” उन्होंने आभूषणों पर टैक्स लगाने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह फैसला गरीबों की आजीविका को प्रभावित करेगा।
उन्होंने आगे कहा, “आम लोग, विशेषकर गरीब वर्ग, अक्सर अपने गहने तब बेचते हैं जब उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अगर सरकार इन गहनों पर इतना भारी टैक्स लगाएगी, तो उनकी समस्याएँ और भी बढ़ जाएँगी।” कनौजिया ने इस टैक्स को न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी गलत बताया।
संजय कनौजिया ने इस मुद्दे को लेकर विभिन्न उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा है। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा स्पीकर, रक्षा मंत्री, राज्यसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को संबोधित करते हुए अपनी चिंता व्यक्त की है। इस पत्र में उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस कर प्रणाली पर पुनर्विचार करे और 20 दिनों के भीतर अपने निर्णय में संशोधन करे।
अगर सरकार उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं देती है, तो उन्होंने न्यायालय की शरण में जाने की चेतावनी दी है। कनौजिया का कहना है कि यह केवल एक टैक्स का मामला नहीं है, बल्कि यह आम लोगों की आर्थिक स्थिति और उनके जीवनयापन से जुड़ा हुआ है।
संजय कनौजिया के इस विरोध प्रदर्शन को लेकर स्थानीय जनता में भी गहरी चिंता दिखाई दे रही है। कई लोगों ने उनके समर्थन में आवाज उठाई है और इस टैक्स को वापस लेने की मांग की है। कई लोगों का मानना है कि इस तरह के टैक्स से गरीबों की स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
संजय कनौजिया का यह कदम सरकार को जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि सरकार को जनहित में निर्णय लेने चाहिए और समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। यह मामला अब केवल एक कर प्रणाली का नहीं रह गया है, बल्कि यह समग्र आर्थिक नीति और गरीबों की भलाई का प्रश्न बन गया है। ऐसे में सरकार की प्रतिक्रिया देखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे आम जनता के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।