एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज ट्रांसकैवल टावर करने वाला देश का पहला मेडिकल कॉलेज बना
देहरादून। श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज़ (एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज) ने ट्रांसकैवल टावर करने वाला देश का पहला मेडिकल कॉलेज बनने का गौरव प्राप्त किया है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसमें एम्स, पीजीआई, सीएमसी वैल्लोर जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान भी शामिल हैं। इस नई तकनीक के उपयोग ने एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज को अन्य सभी मेडिकल कॉलेजों से आगे बढ़ा दिया है।
ट्रांसकैवल टावर तकनीक हृदय रोगियों के उपचार में उपयोग की जाने वाली विश्व की सबसे अत्याधुनिक तकनीकों में से एक है। अति गंभीर हृदय रोगियों के उपचार में टीएवीआर (ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट) तकनीक सबसे अधिक विश्वसनीय मानी जाती है। यह जानकारी श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय पंडिता ने दी।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ साहिल महाजन, डॉ अभिषेक मित्तल और उनकी पूरी टीम को ट्रांसकैवल टीएवीआर तकनीक से किए गए सफल प्रसीजर की बधाई और शुभकामनाएं दीं।
पिथौरागढ़, उत्तराखंड निवासी बंशी राम को लंबे समय से हृदय रोग संबंधित बीमारी की शिकायत थी। बीमारी की वजह से उन्हें सांस फूलना, चलने में परेशानी, हल्की खांसी, सीने में भारीपन और बैठे-बैठे अचानक बेहोशी की शिकायत थी। मेडिकल साइंस में इस बीमारी को एओर्टिक सिनोसिस (महाधमनी में अवरोध की शिकायत) कहा जाता है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ साहिल महाजन ने उनका प्रारम्भिक परीक्षण किया और जांचें करवाईं। जांचों में एओर्टिक सिनोसिस की पुष्टि हुई।
कार्डियोलॉजी विभाग के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ साहिल महाजन, डॉ अभिषेक मित्तल और सीटीवीएस के वरिष्ठ ओपन हार्ट सर्जन डॉ अशोक जयंत ने टीएवीआर तकनीक से उपचार का फैसला लिया। मरीज बंशी राम की भी यही इच्छा थी कि बिना चीरा उनका हृदय प्रोसीजर किया जाए। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की आधुनिक कैथ लैब में डेढ़ घंटे तक चले प्रोसीजर में मरीज का सफल उपचार किया गया। सफल प्रोसीजर के बाद मरीज स्वस्थ्य हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
आमतौर पर हृदय रोगी का उपचार धमनियों के द्वारा किया जाता है, लेकिन ट्रांसकैवल तकनीक में हृदय की बंद धमनियों के बजाय नसों के रास्ते उपचार किया जाता है। इस तकनीक से किया जाने वाला प्रोसीजर एम्स दिल्ली, पीजीआई चण्डीगढ़, सीएमसी वैल्लोर और अन्य प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के राज्यों को पीछे छोड़ते हुए श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज़ और श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ट्रांसकैवल टावर प्रोसीजर करने वाला पहला स्थान हासिल कर चुका है।