उत्तराखंड

आईआईटी रूड़की के शोधकर्ताओं ने कर दी ऐसी डिवाइज तैयार अब घर बैठे ले सकेंगे बस में खाली सीट और भीड़ की जानकारी

भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान रूड़की के शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में भीड़ की जानकारी देने की तकनीक विकसित की है जिसको ट्रांजिट आई नाम दिया गया है, दरअसल इस ट्रांजिट आई की मदद से आपको घर से निकलने से पहले ही यह पता चल जाएगा कि जिस बस में आप बैठने जा रहे हैं उसमें सीट खाली है या नहीं जिससे आपको सहूलियत भी होगी और आपका समय भी बचेगा, वहीं इस ट्रांजिट आई का अविष्कार आईआईटी रुड़की के ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने किया है।

बता दें कि अगर आप बस से सफर करते हैं और आपको बस में भीड़ की वजह से सीट नहीं मिलती है तो अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अब आपको घर से निकलने से पहले ही यह पता चल जाएगा कि जिस बस में आप बैठने जा रहे हैं उस बस में सीट खाली है या नहीं, दरअसल ऐसा हम नहीं बल्कि आईआईटी रूड़की के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल का कहना है, बताते चलें, आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं की ओर से विकसित किए गए ट्रांजिट आई नामक उपकरण ने इस मुश्किल काम को बेहद ही आसान कर दिया है, गौरतलब है इंदौर और भोपाल में सफल ट्रायल के बाद अब संस्थान इस सिस्टम को इंदौर की सिटी बसों में लगाने की तैयारी कर रहा है, दरअसल भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान रूड़की के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल की ओर से सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में भीड़ की जानकारी देने की तकनीक विकसित की गई है, उन्होंने बताया कि इसे ट्रांजिट आई नाम दिया गया है, वहीं आईआईटी इंदौर के टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (दृष्टि) की ओर से आईआईटी रुड़की को यह सिस्टम विकसित करने के लिए फंडिंग की गई, जिसके बाद आईआईटी रूड़की के शोधकर्ताओं की टीम ने भुवनेश्वर, भोपाल और इंदौर में सैकड़ों बसों के रूट, बसों के स्टॉप, उनकी टाइमिंग, बसों में चढ़ने वाले यात्रियों की संख्या और अन्य सर्वे किया है, जिसके बाद यात्री सूचना प्रणाली विकसित की गई है जो रियल टाइम में बसों में भीड़ की स्थिति को आपको मोबाइल पर जानकारी देगा, प्रोफेसर अमित अग्रवाल का कहना है कि ने प्रोजेक्ट के अंतर्गत निशुल्क तौर पर अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड की बसों में यह प्रणाली लगाने की तैयारी की जा रही है।

भीड़ के बारे में बताएगी डीप लर्निंग

बता दें कि भीड़ के बारे में डीप लर्निंग से पता चलता है, साथ ही इस प्रणाली में कैमरे से लिए गए वीडियो को आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस आधारित एल्गोरिद्म आदि के जरिए यात्रियों के प्रवेश और निकास का आकलन भी किया जाता है और यह अनुमान रियल टाइम में लगाया जाता है।

टिकट के अंतर और यात्रियों की संख्या को भी करेगी खत्म

वहीं एक रूट पर कितने यात्री बस में चढ़े हैं और कितने उतरे हैं ये भी ट्रांजिट आई से पता चल सकेगा, साथ ही अगर कडंक्टर ने टिकट कम काटे हैं तो उसका भी इससे पता चलेगा, वहीं चेकिंग के लिए रास्ते में खड़ी टीम के लिए यात्री और टिकट के बीच अंतर के आधार पर होने वाली राजस्व की चोरी का भी पता लगाना आसान हो जाएगा।

ट्रैकिंग के साथ 24 घंटे की रिकार्डिंग की भी सुविधा

वहीं परिवहन विभाग को (ट्रांजिट आई) रियल टाइम में बसों की मूवमेंट जानने के लिए ट्रैकिंग सिस्टम के साथ 24 घंटे की रिकार्डिंग की सुविधा भी देगा, इसी के साथ दिन के अंत में रिकार्डिंग सर्वर पर ऑटोमेटिक सेव हो जाएगी, बताया गया है कि ट्रैकिंग के लिए इसमें भारतीय क्षेत्रीय नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम नाविक का उपयोग किया गया है।

आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने बताया कि सार्वजनिक परिवहन में भीड़ एक बड़ा कारण है, जिस कारण रोजमर्रा सड़क पर परिवहन करने वाले लोग प्राइवेट वाहनों को अपना रहे हैं, उन्होंने बताया कि ऐसे में यात्रियों को उनकी यात्रा प्लान करने के लिए ट्रांजिट आई को तैयार करने की रूपरेखा बनाई गई है जिससे सार्वजनिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सके।

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