बाल अधिकार कर रहा है बच्चों के हितों की सुरक्षा के लिए काम-रेखा आर्या
*देहरादून*: आज उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला “Emerging Policy Shifts for Strengthening Child”के प्रथम सत्र का मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया। इस कार्यशाला में देश के 18 राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोगों के अध्यक्ष, सचिव व सदस्य सचिवों द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिसमें सभी के द्वारा बाल अधिकारों के सम्बन्ध में गहन चिन्तन व नई नीतियों के निर्धारण हेतु रूपरेखा तैयार किये जाने पर जोर दिया गया।
इस दौरान बाल अधिकारों हेतु तैयार की गई दो पुस्तकों का विमोचन किया गया।कार्यशाला के प्रथम दिन के प्रथम तकनीकी सत्र में बाल हितों के विभिन्न मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर पर गहन चर्चा की गई, जैसे नशा, स्वास्थ्य, नई शिक्षा नीति, यातायात, बाल सुरक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ द्वारा अपना अनुभव सांझा किया गया। देव भूमि में इस प्रकार के कार्यकमों के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान दिये जाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि बाल संरक्षण से जूडे मुद्दों एवं बालकों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण कानूनों जैसे बाल श्रम, बाल विवाह, शिक्षा का अधिकार, पॉक्सो अधिनियम के साथ-साथ बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, मिशन वात्सल्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी के लिए यह संकलन बहुत ही लाभकारी सिद्ध होगा। मंत्री रेखा आर्या द्वारा मा० मुख्यमंत्री जी के राज्य में यू०सी०सी० लागू किये जाने पर हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया। कहा कि आयोग एक अधिकार-आधारित परिप्रेक्ष्य की परिकल्पना करता है, जो प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्टताओं और शक्तियों को ध्यान में रखते हुए, राज्य, जिला और ब्लॉक स्तरों पर परिभाषित प्रतिक्रियाओं सहित राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों में प्रवाहित होता है। समुदायों और परिवारों में गहरी पैठ बनाएं और यह उम्मीद की जाती है कि क्षेत्र में प्राप्त सामूहिक अनुभव को उच्च स्तर पर सभी अधिकारियों द्वारा माना जाएगा। इस प्रकार, आयोग बच्चों और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए राज्य के लिए एक अपरिहार्य भूमिका की परिकल्पना करता है।
सांसद नरेश बंसल द्वारा कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यशाला में प्रतिभाग किया गया, उनके द्वारा राज्य में नशे की बढती हुई प्रवृत्ति, बालश्रम, भिक्षा जैसे गम्भीर विषयों में उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा इस प्रकार की कार्यशाला की प्रशंसा की गई।
आयोग की अध्यक्ष डा० गीता खन्ना द्वारा इस तरह के आयोजन की महत्ता बताते हुये गम्भीर मुद्दो पर विभिन्न क्षेत्रो के विशेषज्ञों के साथ मंथन एंव विचार विमर्श करते हुये बाल कल्याण के क्षेत्र में नई राह तलाशे जाने पर जोर दिया ताकि भविष्य के लिये एक ठोस नवाचार नीति तैयार की जा सके। उनके द्वारा बताया गया कि कोविड महामारी के पश्चात् राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग के उपरान्त उत्तराखण्ड दूसरा ऐसा राज्य है जो कि राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
वहीं इस दौरान आयोग के सदस्य दीपक गुलाटी ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला समाज हित मे उपयोग साबित होती है।कार्यशाला का उद्देश्य सिर्फ एक दिवस तक सीमित ना रहे हमे इस और काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बाल अधिकार आयोग की तरफ से यही प्रयास किया जाता है कि बालक व बालिकाओं के अधिकार सुरक्षित हों और उनका भविष्य उज्जवल हो!
आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण द्वारा अवगत कराया गया कि उत्तराखण्ड बाल संरक्षण आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में बाल संरक्षण से जुडे सभी विषयों पर विभिन्न राज्यों से आये सभी अध्यक्ष, सदस्य के साथ विस्तृत विचार विमर्श किया जायेगा तथा नवीन योजना निर्माण की नीव रखे जाने का प्रयास किया जायेगा।
कार्यशाला में प्रमुख सचिव न्याय नितिन शर्मा, उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण,सदस्य दीपक गुलाटी, सदस्य अजय वर्मा, रेखा रौतेला, राज्यमंत्री कुसुम कंडवाल, राज्यमंत्री विश्वास डाबर, अनुसूचित आयोग के अध्य्क्ष मुकेश कुमार, , राज्यमंत्री मधुभट्ट, पद्मश्री बसंती देवी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।