उत्तराखंड

SGRR मेडिकल कॉलेज के मृदुल बने सबके लिए मिसाल, दो बार किडनी प्रत्यारोपण के बावजूद जिंदादिली के साथ कैंसर विशेषज्ञ बनने के मिशन में बढ़ रहे आगे

 

देहरादून। श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज़ के तृतीय वर्ष के एमबीबीएस छात्र मृदुल पाण्डेय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण लेख प्रकाशित किया है। कैंसर मरीजों के उपचार और देखभाल से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं को उन्होंने अपने लेख में उजागर किया है। इस लेख को उन्होंने प्रतिष्ठित सहयोगियों के साथ सह-लेखक के तौर पर लिखा है। जिसमें यह बताया गया है कि देखभालकर्ता कैंसर मरीजों को शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक समर्थन प्रदान करने में अपरिहार्य हैं।

कैंसर जीवित बचाव कार्यक्रमों में देखभालकर्ताओं को पहचानना और शामिल करना कैंसर देखभाल के लिए एक समग्र और प्रभावी दृष्टिकोण के लिए आवश्यक है। उन्होंने यह महत्वपूर्ण कार्य श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर सर्जन, डॉ. पंकज गर्ग के मार्गदर्शन में किया। डॉ. मृदुल पाण्डेय का दो बार किडनी प्रत्यारोपण हो चुका है। इसके बावजूद वह एक जिंदादिल इंसान हैं। वह एक समर्पित और मेहनती मेडिकल छात्र होने के साथ-साथ शोधार्थी भी हैं, जो मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट बनने की आकांक्षा रखते हैं।

एक दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थिति से जूझने और दो बार किडनी प्रत्यारोपण कराने के बावजूद उनके जीवन में सफलता प्राप्त करने का उत्साह वास्तव में प्रेरणादायक है। उनका लेख एक प्रतिष्ठित जर्नल, जर्नल ऑफ सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। मृदुल की यात्रा उनकी अटूट दृढ़ता और सकारात्मक दृष्टिकोण से चिह्नित है, जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे अन्य लोगों के लिए आशा और प्रेरणा का प्रतीक है। उनके इस प्रकाशन में कैंसर देखभाल में सुधार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता स्पष्ट है। उनका लेख देखभालकर्ताओं के योगदान को पहचानने और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करता है ताकि मरीजों के परिणामों में सुधार हो सके।

श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज का प्रबंधन उनके पूरे सफर के दौरान बेहद सहायक रहा है। इस माहौल ने उन्हें आवश्यक संसाधन और प्रोत्साहन प्रदान किया है। उनके अटूट समर्थन ने मृदुल को अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने और ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया है, जिससे मृदुल की संकल्पना और समर्पण को और बल मिला है। मृदुल का कार्य ऑन्कोलॉजी में एक युवा शोधकर्ता की ओर से एक उल्लेखनीय योगदान का प्रतीक है, जो मरीजों और उनके समर्पित देखभालकर्ताओं दोनों को शामिल करने वाली व्यापक कैंसर देखभाल के महत्व को उजागर करता है।

 

मृदुल पाण्डेय की यात्रा किसी चमत्कार से कम नहीं है। उनका दो बार किडनी प्रत्यारोपण हुआ है, जो स्वयं में एक बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद उन्होंने अपनी शारीरिक परेशानियों को कभी भी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। मृदुल का कहना है कि जीवन में चुनौतियां आती हैं, लेकिन हमें हार मानने की बजाय उनका डटकर सामना करना चाहिए। उनके इस जज्बे और दृढ़ संकल्प ने उन्हें एक मिसाल बना दिया है।

मृदुल का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर हमारे अंदर दृढ़ता और सकारात्मक दृष्टिकोण हो तो हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं। उन्होंने न केवल अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना किया, बल्कि अपने शैक्षिक और शोध कार्यों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणादायक है जो जीवन में किसी न किसी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं।

 

मृदुल पाण्डेय के लेख का मुख्य बिंदु कैंसर देखभाल में देखभालकर्ताओं की भूमिका को पहचानना और उन्हें सम्मान देना है। उनका मानना है कि देखभालकर्ता कैंसर मरीजों के लिए एक मजबूत समर्थन प्रणाली प्रदान करते हैं। वे न केवल मरीजों की शारीरिक देखभाल करते हैं, बल्कि उन्हें भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक समर्थन भी देते हैं।

मृदुल का लेख इस बात पर जोर देता है कि कैंसर जीवित बचाव कार्यक्रमों में देखभालकर्ताओं की भूमिका को पहचानना और उन्हें शामिल करना कैंसर देखभाल के लिए एक समग्र और प्रभावी दृष्टिकोण के लिए आवश्यक है। यह दृष्टिकोण न केवल मरीजों के लिए लाभदायक है, बल्कि देखभालकर्ताओं की भलाई और उनके काम के प्रति सम्मान को भी सुनिश्चित करता है।

 

मृदुल पाण्डेय की यह उपलब्धि उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करती है। उनकी यह यात्रा हमें यह विश्वास दिलाती है कि कोई भी बाधा हमें हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने से रोक नहीं सकती, अगर हमारे पास दृढ़ता और समर्पण है। मृदुल का सपना है कि वह एक सफल मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट बनें और कैंसर मरीजों की सेवा करें।

उनकी यह सफलता न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उनके परिवार, मित्रों और शिक्षकों के लिए भी गर्व का विषय है। मृदुल की यह उपलब्धि हमें यह सिखाती है कि जीवन में कोई भी परिस्थिति हमें हमारे सपनों को पूरा करने से रोक नहीं सकती, अगर हमारे पास उन्हें पूरा करने का जुनून और समर्पण है।

 

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