Friday, November 22, 2024
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उत्तराखंड

मनरेगा कार्मिकों के नियमितीकरण की दिशा में कदम, मंत्री गणेश जोशी का निर्देश

 

उत्तराखंड के ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने प्रदेश के मनरेगा कार्मिकों के नियमितीकरण को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्होंने ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक में यह सुनिश्चित किया कि मनरेगा के कार्मिकों को अन्य राज्यों की तर्ज पर स्थायी नौकरी के लिए समायोजित किया जाए।

 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार प्रदान करना है। यह योजना विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो कृषि और अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विगत 16 वर्षों से मनरेगा के तहत कार्यरत कार्मिक पंचायत, विकास खण्ड और जिला स्तर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जो ग्रामीण विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

 

मनरेगा कर्मचारियों ने इस अवसर पर मंत्री गणेश जोशी को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने राजस्थान और अन्य राज्यों के तर्ज पर अपने नियमितीकरण की मांग की। ज्ञापन में स्पष्ट किया गया कि अन्य राज्यों में मनरेगा कर्मचारियों को स्थायी नौकरी में समायोजित किया जा रहा है, जबकि उत्तराखंड में यह प्रक्रिया अभी तक अधूरी है। कार्मिकों ने इस विषय पर नियमावली और शासनादेश का परीक्षण कर शीघ्र प्रस्ताव तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

 

ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे जल्दी से जल्दी इस प्रस्ताव को तैयार करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मनरेगा कार्मिकों के हितों के प्रति सजग है और उनकी नियमितीकरण प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाएगी। जोशी ने यह भी कहा कि सरकार हर संभव प्रयास करेगी ताकि इन कर्मचारियों को स्थायी नौकरी का लाभ मिल सके।

 

इस बैठक के दौरान आयुक्त ग्राम्य विकास संविन बंसल और अन्य विभागीय अधिकारी भी उपस्थित रहे। उन्होंने मंत्री के निर्देशों का स्वागत करते हुए कहा कि इस दिशा में तेजी से कार्य किया जाएगा और जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा।

 

ग्राम्य विकास मंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण विकास के प्रति प्रतिबद्ध है और मनरेगा के माध्यम से रोजगार प्रदान करना एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मनरेगा कर्मचारियों की सेवा को मान्यता देना और उन्हें स्थायी रूप से समायोजित करना आवश्यक है, ताकि वे अपनी सेवाएं और भी बेहतर ढंग से दे सकें।

 

 

 

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