उत्तराखंड

नहीं कटेंगे खलंगा के पेड़: पर्यावरण प्रेमियों की जीत

पर्यावरण प्रेमियों के विरोध के चलते खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट के पेड़ों को कटने से बचा लिया गया है। यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है। पेयजल निगम ने इस स्थान को छोड़ दिया है और अब मालदेवता के निकट कनार काटा गांव में पेयजल परियोजना के लिए भूमि चिह्नित की गई है।

पिछले दिनों सौंग बांध की पेयजल परियोजना के लिए खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट में पेड़ों पर निशान लगाए गए थे। इस परियोजना के तहत करीब 2000 पेड़ों को काटा जाना था, लेकिन पर्यावरण प्रेमियों के भारी विरोध के चलते पेयजल निगम ने इस जमीन पर अपना दावा छोड़ दिया। इस विरोध को स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया में भी प्रमुखता से उठाया गया था, जिससे सरकार और प्रशासन पर दबाव बढ़ा।

पर्यावरण प्रेमियों के विरोध और बढ़ते दबाव के बीच मुख्यमंत्री ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद पेयजल निगम ने खलंगा की जगह देहरादून के कनार काटा गांव को परियोजना के लिए चिह्नित किया है। बताया गया है कि क्षेत्र में वन भूमि का हस्तांतरण जल्द किया जाएगा।

कनार काटा गांव में करीब 7 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी, जिसमें 4.2 हेक्टेयर भूमि पर 150 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा। इस परियोजना के तहत कनार गांव से राजधानी के 60 वार्डों में पेयजल की आपूर्ति की जाएगी। पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता दीपक नौटियाल ने बताया कि जल्द ही वन विभाग के साथ मिलकर इस स्थान का सर्वेक्षण किया जाएगा और इसके आधार पर डीपीआर तैयार की जाएगी।

प्रमुख वन संरक्षक धन्यजय मोहन ने कहा कि जल्द ही संयुक्त स्थलीय निरीक्षण किया जाएगा। इसके बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। वन विभाग और पेयजल निगम मिलकर इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करेंगे।

यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट के पेड़ों को बचाने से न केवल पर्यावरण का संरक्षण होगा, बल्कि स्थानीय वन्यजीवों और जैव विविधता को भी संरक्षित किया जा सकेगा। पर्यावरण प्रेमियों की इस जीत ने साबित कर दिया है कि सामूहिक प्रयासों से पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

खलंगा के पेड़ों को कटने से बचाने का निर्णय पर्यावरण प्रेमियों की एक बड़ी जीत है। पेयजल निगम और वन विभाग की संयुक्त पहल से अब परियोजना को एक नए स्थान पर सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जाएगा। यह निर्णय भविष्य में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देगा।

 

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