उत्तराखंड

 हरेला पर्व: शहीदों को समर्पित और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम

 

हरेला पर्व उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्व है, जिसे हर साल श्रावण मास की शुरुआत में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल हरियाली और प्रकृति की महत्ता को दर्शाता है, बल्कि समाज को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक भी करता है। इस बार हरेला पर्व को और भी विशेष बनाते हुए, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘शहीदों के नाम पौधरोपण’ कार्यक्रम में भाग लिया, जो मालदेवता, देहरादून में आयोजित किया गया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जम्मू के कठुआ में शहीद हुए उत्तराखण्ड के जवानों और बिनसर वन्यजीव विहार में वनाग्नि दुर्घटना में मारे गए वन्य कर्मियों की स्मृति में पौधा रोपण किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शहीदों की स्मृति को सजीव रखना और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम उठाना था।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले स्कूलों और वन पंचायतों को सम्मानित भी किया। उन्होंने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व सुख, समृद्धि, शांति, पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण का प्रतीक है। यह पर्व जीवन को प्रकृति के साथ जोड़ने का कार्य करता है और हमें हमारी प्राकृतिक धरोहर और विरासत को संरक्षित करने की प्रेरणा देता है।

मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण और वृक्षारोपण की दिशा में भी प्रदेशवासियों से योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि तापमान में वृद्धि होना एक गंभीर चिंतन का विषय है और हमें अपनी प्राकृतिक सम्पदाओं का सही तरीके से उपयोग करना होगा। हरेला पर्व पर इस वर्ष राज्य में 50 लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान 15 अगस्त तक चलेगा और इसमें सरकार के साथ जनसहयोग भी लिया जा रहा है।

राज्य सरकार द्वारा वृक्षारोपण अभियान के लिए स्वयं सहायता समूहों, सामाजिक संगठनों, एनजीओ और जनसहयोग को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किए गए हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की शुरुआत की गई थी, जिससे देश में करोड़ों पौधे रोपे जा चुके हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तराखंड ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लिए देश में पहला स्थान हासिल किया है, जो राज्य के लिए गर्व का विषय है।

 

हरेला पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी विद्यालयों, कॉलेजों, निकायों, जनप्रतिनिधियों और सभी सरकारी एवं निजी संस्थानों से अपने परिसर में अधिक से अधिक पौधों का रोपण करने का आह्वान किया। उन्होंने रूद्रप्रयाग जनपद के कोट ग्राम पंचायत की मातृशक्ति के प्रयासों की भी प्रशंसा की, जो पर्यावरण और जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही हैं।

वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने बताया कि हरेला पर्व के उपलक्ष्य में इस वर्ष प्रदेश में 01 करोड़ 64 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान 15 अगस्त तक चलेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पहचान यहां का नैसर्गिक सौंदर्य है और वन सम्पदा राज्य की आजीविका का महत्वपूर्ण संसाधन है। ग्लोबल वार्मिंग और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की समस्या को ध्यान में रखते हुए, हमें भावी पीढ़ी को शुद्ध वातावरण देने के लिए वृक्षारोपण और जल संरक्षण की दिशा में निरंतर कार्य करना होगा।

हरेला पर्व के इस महत्वपूर्ण अवसर पर राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल, विधायक श्री उमेश शर्मा काऊ, प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) डॉ. धनंजय मोहन, आईजी गढ़वाल श्री के.एस नगन्याल, जिलाधिकारी देहरादून श्रीमती सोनिका, एसएसपी श्री अजय सिंह और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह पर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और हमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है। हरेला पर्व के माध्यम से हमें यह संदेश मिलता है कि हरियाली और पर्यावरण की रक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है और हमें इसे संजीदगी से निभाना चाहिए।

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