उत्तराखंड

उत्तराखंड में गुलदार का आतंक: 5 साल के बच्चे पर हमला, जानिए कैसे करें बचाव

रुद्रप्रयाग में गुलदार के हमले में एक 5 साल का बच्चा बाल-बाल बच गया। बच्चे के सिर, पैर और हाथ पर गहरे जख्म हैं, लेकिन उसकी हालत खतरे से बाहर है। यह घटना उत्तराखंड में गुलदार के बढ़ते आतंक का एक और उदाहरण है।

पिछले कुछ समय में, उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में गुलदार के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। गुलदार घात लगाकर महिलाओं, बच्चों और पालतू पशुओं को अपना शिकार बना रहा है। अब तो स्थिति यह है कि गुलदार घर में घुसकर बच्चों को उठा रहा है। इसके कारण ग्रामीण इलाकों में बच्चे कई-कई दिन स्कूल नहीं जा पाते हैं। कई गांव सिर्फ इसलिए खाली हो गए कि वहां रहने वाले लोग अब गुलदार का निवाला नहीं बनना चाहते।

प्रदेश में गुलदार की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। भोजन-पानी की तलाश इन्हें जंगल से बाहर रिहायशी इलाकों तक ला रही है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में अभी गुलदारों की संख्या करीब 3115 है, लेकिन जानकारों की मानें तो यह संख्या इससे कहीं अधिक है।

गुलदार खूंखार और चालाक होता है, जो बहुत ही चालाकी से अपना शिकार करता है। वर्ष 2000 से अब तक गुलदार के हमले में 514 लोगों की जान गई है, जबकि 1868 लोग घायल हुए हैं। वहीं, वर्ष 2000 से अब तक 1741 गुलदारों की मौत रिकॉर्ड में दर्ज है।

रुद्रप्रयाग में पिछले आठ साल में गुलदार ने सात लोगों की जान ले ली है। 2015 से 2023 तक गुलदार ने पूलन मल्ला, बांसी, पपडासू, धारी, सिल्ला बमणगांव, बस्टा और गहडखाल में हमले किए हैं।

गुलदार से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें:

  • जंगल में जाते समय हमेशा सावधान रहें।
  • बच्चों को अकेले जंगल में न जाने दें।
  • रात में जंगल में जाने से बचें।
  • यदि आपको गुलदार दिखाई दे तो शांत रहें और धीरे-धीरे पीछे हटें।
  • गुलदार से बचने के लिए अपने घरों के आसपास रोशनी का प्रबंध करें।
  • यदि गुलदार आपके घर में घुस आए तो शोर मचाएं और उसे भगाने का प्रयास करें।
  • गुलदार के हमले की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।

यह भी ध्यान रखें:

  • गुलदार को मारना गैरकानूनी है।
  • गुलदार को भगाने के लिए पटाखे या अन्य कोई हानिकारक तरीका न अपनाएं।
  • गुलदार के हमले से घायल होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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