Friday, November 22, 2024
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दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण पर विवाद: सुरेंद्र रौतेला का स्पष्टीकरण और विरोधियों को सद्बुद्धि की प्रार्थना

 

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण का प्रस्ताव उत्तराखंड में एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है। इस मुद्दे पर न केवल आम जनता बल्कि राजनीतिक पार्टियाँ और साधु-संत भी विरोध कर रहे हैं। यह विरोध उस समय और भी उग्र हो गया जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में मंदिर निर्माण के शिलान्यास में भाग लिया।

इस विवाद को शांत करने और अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के फाउंडर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने देहरादून में एक प्रेस वार्ता आयोजित की। उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली में केदारनाथ धाम नहीं बल्कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग इसे गलत मुद्दा बनाकर पेश कर रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं।

सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि ट्रस्ट के नाम से ‘धाम’ शब्द को हटा दिया जाएगा ताकि लोगों में फैली गलतफहमी दूर हो सके। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि उत्तराखंड के हिमालय पर स्थित बदरीनाथ धाम के नाम से मुंबई में भी एक मंदिर बना हुआ है, लेकिन उस पर किसी ने विरोध नहीं किया। इसी तरह गुजरात के पाटन में केधारेश्वर मंदिर और जम्मू-कश्मीर में भी एक स्थान है जिसे केदारनाथ के नाम से जाना जाता है।

सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि मंदिर निर्माण की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और यह एक पुण्य का कार्य है। किसी भी ज्योतिर्लिंग के नाम से मंदिर का निर्माण करना आस्था के मद्देनजर गलत नहीं है। प्राचीन काल में भी राज्य के शासक अपने राज्य में विभिन्न स्थानों पर मंदिरों और देवालयों की स्थापना करते थे।

सुरेंद्र रौतेला ने खुद को भगवान भोलेनाथ का भक्त बताते हुए कहा कि वे भगवान शिव के आशीर्वाद से दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण करेंगे, लेकिन बाबा केदारनाथ का धाम उत्तराखंड में ही रहेगा। उन्होंने विरोध करने वालों के लिए भगवान शंकर से सद्बुद्धि की प्रार्थना की और कहा कि अगर उनकी किसी बात से किसी को ठेस पहुँची है तो वे सभी को साथ लेकर चलने के लिए तैयार हैं।

सुरेंद्र रौतेला ने व्यक्तिगत लाभ के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अगर व्यक्तिगत लाभ होता तो वे मंदिर नहीं बनाते, बल्कि कहीं दुकान खोलकर पैसा कमाते। यह मंदिर एक आस्था का केंद्र है और उन्होंने इसे पुण्य कार्य के रूप में लिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धाम के नाम को लेकर यदि कोई गलती हुई है तो वे धाम का नाम बदलने को तैयार हैं और माफी मांगने के लिए भी तैयार हैं।

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण के मुद्दे पर विरोध और समर्थन के बीच संतुलन बनाने का प्रयास सुरेंद्र रौतेला ने किया है। उनकी प्रेस वार्ता ने न केवल विवाद को शांत करने की कोशिश की बल्कि मंदिर निर्माण के पीछे की मंशा को भी स्पष्ट किया। उन्होंने विरोधियों को भगवान केदारनाथ से सद्बुद्धि की प्रार्थना करते हुए सबको साथ लेकर चलने का संदेश दिया। इस पूरे प्रकरण में उनका संतुलित दृष्टिकोण और आस्था के प्रति उनकी निष्ठा सराहनीय है।

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