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Bharat News Box:-  करवा चौथ के पावन पर्व पर  महिलाओं को मिलता है अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान जानिए किस समय करनी है पूजा अर्चना

देहरादून

 करवा चौथ के पावन पर्व पर  महिलाओं को मिलता है अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान जानिए किस समय करनी है पूजा अर्चना

हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसी क्रम में एक नवंबर को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा. करवा चौथ के पर्व को लेकर देहरादून के बाजारों में महिलाओं का हुजूम उमड़ा रहा.

महिलाओं ने बाजारों में पहुंचकर ना सिर्फ साज सज्जा का सामान खरीदा. बल्कि बड़ी तादाद में महिलाओं ने मेहंदी भी लगवाई. सनातन और सिख धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है. यही वजह है कि महिलाएं पूरी परंपरा और पूरी शिद्दत के साथ इस पर्व को मनाती है.

करवा चौथ का पर्व मुख्य रूप से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, बिहार और राजस्थान समेत अन्य राज्यों में मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपने पति की लंबी आयु और सुरक्षा के लिए रखती हैं.

मुख्य रूप से करवा चौथ के दिन महिलाएं पूरा दिन निर्जला उपवास करती हैं. साथ ही पति के लंबी आयु और जीवन में कामयाबी की कामना करती हैं. इसके बाद शाम को चंद्रमा की पूजा कर अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने व्रत को पूरा करती हैं.

करवाचौथ की पूजा बुधवार यानि की आज होगी
रात 8 बजकर 26 मिनट पर चंद्रोदय होगा चांद का दीदार करने के बाद महिलाएं अपने पति के हाथ से पानी पीकर करवाचौथ का व्रत तोड़ेंगी

पूजा का मुहूर्त शाम 5:44 से शुरू होकर रात 7:02 बजे तक रहेगाकरवाचौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता हैइस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए, द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवाचौथ का व्रत किया था मान्यता है
करवा चौथ के दिन मां गौरी और भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए काफी फलदायक माना गया है. यही वजह है कि महिलाएं, अपने पति की लंबी आयु और रक्षा की कामना करते हुए है

हर साल करवा चौथ का निर्जला उपवास करती हैं. हालांकि, यह व्रत काफी कठिन माना जाता है. इसके साथ ही करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का भी एक विशेष महत्व है. लिहाजा, सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर शाम के समय व्रत कथा का पाठ करती हैं और फिर चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देने के बाद व्रत को संपन्न करती हैं.
कि करवाचौथ व्रत के प्रताप से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है करवा माता उनके सुहाग की हमेशा रक्षा करती हैं
व्रत सुबह 6:36 बजे शुरू होकर रात 8:26 बजे तक रखा जाएगा।

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