उत्तराखंड

वन्य जीव तस्करों की गिरफ्तारी: उत्तराखंड में एसटीएफ की बड़ी कामयाबी

 

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। एंटी नारकोटिक्स कुमाऊं यूनिट, जनपद चमोली पुलिस, पिंडर वन रेंज टीम और वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के संयुक्त प्रयासों से वन्य जीव तस्करी में लिप्त दो अंतर्राज्यीय तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। इनके कब्जे से 04 भालुओं की पित्त की थैलियां, जिनका वजन 460 ग्राम है, बरामद की गई हैं। इस महत्वपूर्ण कार्रवाई की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, श्री आयुष अग्रवाल ने दी।

 

दिनांक 23 मई 2024 को एसटीएफ की एंटी नारकोटिक्स टीम ने जनपद चमोली पुलिस, पिंडर वन रेंज टीम और वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के साथ मिलकर देवाल स्थित हॉस्पिटल तिराहे के पास से दो अंतर्राज्यीय वन्य जीव तस्करों, बलवंत सिंह और मेहरबान सिंह को गिरफ्तार किया। ये दोनों पिछले कई वर्षों से वन्य जीव अंगों की तस्करी में संलिप्त थे और उनके कब्जे से 04 भालुओं की पित्त की थैलियां बरामद की गईं।

 

गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण

 

1. बलवंत सिंह: पुत्र हिम्मत सिंह, निवासी ग्राम एवं पोस्ट बाण, थाना थराली, जनपद चमोली, उम्र 55 वर्ष।

2. मेहरबान सिंह: पुत्र चंद्र सिंह, निवासी ग्राम कॉलिंग, थाना थराली, जनपद चमोली, उम्र 60 वर्ष।

गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे हिमालय क्षेत्र में भालुओं का शिकार करते थे और उनकी पित्त की थैली निकालकर उसे सूखा लेते थे। इसके बाद ये पित्त की थैलियां उच्च दामों पर बेच दी जाती थीं। यह एक संगठित और सुनियोजित तस्करी का नेटवर्क था, जिसे एसटीएफ की सतर्कता और कड़ी निगरानी के चलते ध्वस्त किया गया।

 

गिरफ्तार तस्करों के विरुद्ध थाना थराली, जनपद चमोली में संबंधित धाराओं के तहत अभियोग पंजीकृत कराया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ श्री आयुष अग्रवाल ने बताया कि इन तस्करों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि वन्य जीव तस्करी की इस कड़ी को तोड़ा जा सके।

 

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ उत्तराखंड ने जनता से अपील की है कि वे नशे और तस्करी से दूर रहें। किसी भी प्रकार के लालच में आकर नशा तस्करी न करें। नशा तस्करी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एसटीएफ से संपर्क करने के लिए उन्होंने अपने ऑफिस नंबर भी जारी किए हैं: 0135-2656202 और 9412029536।

 

इस पूरी कार्रवाई में एसटीएफ की एंटी नारकोटिक्स कुमाऊं यूनिट के निरीक्षक पावन स्वरूप, उप निरीक्षक विपिन चंद्र जोशी, सहायक उप निरीक्षक जगबीर शरण, मुख्य आरक्षी मनमोहन सिंह और आरक्षी वीरेंद्र चौहान शामिल थे। थाना थराली पुलिस टीम में 30 नि. विनोद रावत, आरक्षी कृष्णा कुमार और आरक्षी प्रफुल्ल नोटियाल ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ की यह बड़ी कामयाबी वन्य जीव तस्करी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्रवाई न केवल वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि तस्करी के संगठित नेटवर्क को भी ध्वस्त करने में सहायक सिद्ध होगी। प्रशासन का उद्देश्य है कि वन्य जीवों की रक्षा के साथ-साथ समाज में नशे और तस्करी के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके खिलाफ कठोर कदम उठाना।

 

एसटीएफ और पुलिस की इस सफलता से न केवल उत्तराखंड में, बल्कि पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश गया है कि कानून और प्रशासन तस्करी और अपराध के खिलाफ सख्त है और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता को भी इस मुहिम में सहयोग देना चाहिए और किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को देनी चाहिए।

 

वन्य जीव तस्करी और नशे के खिलाफ इस लड़ाई में पुलिस और प्रशासन का यह कदम निश्चित रूप से सराहनीय है और इससे अपराधियों को कड़ा संदेश मिलेगा।

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