उत्तराखंड

सी.एम. हेल्पलाइन: उत्तराखंड सरकार का शिकायत निवारण का प्रयास

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन से वर्चुअल माध्यम से सी.एम. हेल्पलाइन की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि हेल्पलाइन पर आई सभी शिकायतों का समयबद्धता से निस्तारण किया जाए। आगामी 15 दिनों में लंबित शिकायतों का सकारात्मक निवारण करने के निर्देश दिए गए हैं। इस समीक्षा बैठक में विभिन्न वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों ने भाग लिया और मुख्यमंत्री ने सी.एम. हेल्पलाइन के व्हाट्सएप चैटबोट का भी शुभारंभ किया।

 

सी.एम. हेल्पलाइन का उद्देश्य राज्य के नागरिकों की शिकायतों का त्वरित और प्रभावी समाधान प्रदान करना है। यह प्रणाली नागरिकों को उनके मुद्दों को सीधे सरकारी अधिकारियों के समक्ष रखने और उनके समाधान की प्रक्रिया को ट्रैक करने का अवसर देती है। इस हेल्पलाइन के माध्यम से नागरिकों को एक प्लेटफॉर्म मिलता है जहां वे अपने समस्याओं का समाधान पा सकते हैं और सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि सभी लंबित शिकायतों का आगामी 15 दिनों में सकारात्मक निवारण किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिन अधिकारियों ने पिछले एक माह में सी.एम. हेल्पलाइन पोर्टल में लॉगइन नहीं किया है, उनके खिलाफ कारवाई की जाए। संबंधित विभागीय सचिव और विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी तय की जाएगी यदि उनकी कार्यप्रणाली में शिथिलता पाई जाती है।

 

मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे शिकायतकर्ताओं से नियमित संवाद करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि ब्लॉक लेवल अधिकारी से विभागीय सचिव तक सभी अधिकारी जन शिकायतों के समाधान के लिए स्वयं शिकायतकर्ताओं से संवाद करें। इस संवाद से न केवल समस्याओं का समाधान होगा बल्कि शिकायतकर्ताओं के साथ समरसता का भाव भी उत्पन्न होगा।

 

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि ब्लॉक स्तर पर बीडीसी की बैठकों का नियमित आयोजन किया जाए। इन बैठकों में विकास से संबंधित विभागीय अधिकारियों और रेखीय विभागों के अधिकारियों की शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिया गया कि वे हर बीडीसी बैठक में रहें और जनपद स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी का रोस्टर बनाकर उन्हें बैठकों में भेजा जाए।

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि तहसील दिवस का नियमित आयोजन किया जाए। तहसील दिवस पर शिकायतों के निस्तारण संबंधी जानकारी मुख्यमंत्री जन-समर्पण तहसील दिवस पोर्टल पर भी नियमित अपलोड की जाए। जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और जनपदों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी तहसील दिवस में नियमित प्रतिभाग कर जन समस्याओं का समाधान करें।

 

मुख्यमंत्री ने 180 दिनों से अधिक समय से लंबित शिकायतों पर नाराजगी व्यक्त की और संबंधित विभागीय सचिवों को निर्देश दिया कि इन शिकायतों का जल्द समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि शिकायतों को क्लोज करना उद्देश्य नहीं होना चाहिए, बल्कि शिकायतों का समाधान करना चाहिए। सीएम हेल्पलाइन मॉड्यूल के अनुसार नियमित प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए और संबंधित अधिकारी स्वयं उपस्थित रहें।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभागीय सचिव और विभागाध्यक्ष प्रत्येक माह के द्वितीय सप्ताह में सीएम हेल्पलाइन-1905 की विभागीय समीक्षा करें और शिकायतों का त्वरित निस्तारण करें। सभी विभागों द्वारा समीक्षा बैठकों का कार्यवृत्त नियमित पोर्टल पर अपलोड किया जाए। इस प्रकार की समीक्षा बैठकों से न केवल शिकायतों का समाधान होगा बल्कि विभागों की कार्यप्रणाली में भी सुधार आएगा।

 

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सी.एम. हेल्पलाइन पर प्राप्त हुई शिकायतों के शिकायतकर्ताओं से फोन से वार्ता की। जिन 07 शिकायतकर्ताओं से मुख्यमंत्री ने वार्ता की, उनमें से 03 शिकायतकर्ताओं की समस्या का समाधान किया जा चुका है, जबकि 04 शिकायतकर्ताओं की समस्याओं का शीघ्र समाधान किए जाने का आश्वासन मुख्यमंत्री ने दिया।

 

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सी.एम. हेल्पलाइन के व्हाट्सएप चैटबोट का भी शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि सी.एम. हेल्पलाइन के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाए। इससे नागरिकों को आसानी से शिकायत दर्ज करने और उनके समाधान की प्रक्रिया को ट्रैक करने में मदद मिलेगी।

 

सी.एम. हेल्पलाइन उत्तराखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जो नागरिकों की शिकायतों का त्वरित और प्रभावी समाधान प्रदान करने का प्रयास करती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के तहत, इस पहल को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। उम्मीद है कि इस पहल से नागरिकों को उनकी समस्याओं का समाधान तेजी से मिलेगा और सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित होगा।

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