उत्तराखंड

वन्य जीवों से फसल क्षति की समस्या का समाधान: कृषि मंत्री गणेश जोशी की ठोस नीति और भविष्य की योजनाएं

 

उत्तराखंड के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने सोमवार को अपने कैंप कार्यालय में कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कृषि योजनाओं की प्रगति का मूल्यांकन और वन्य जीवों से फसल क्षति की समस्या के समाधान हेतु ठोस नीति निर्माण पर चर्चा करना था।

 

बैठक के दौरान, मंत्री गणेश जोशी ने कई केंद्र पोषित योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, और स्वाईल हैल्थ कार्ड की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने इन योजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों और उनकी प्रगति पर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

अधिकारियों ने बैठक में बताया कि परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 296 स्टोर खोले जा चुके हैं। इसके अलावा, किसानों को बीज और दवाइयां कैलेंडर के अनुरूप वितरण करने के लिए भी निर्देश दिए गए।

मंत्री गणेश जोशी ने बंदरों और अन्य वन्य जीवों से फसलों को होने वाली क्षति की समस्या पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने अधिकारियों को इस समस्या के निराकरण के लिए ठोस नीति बनाने के निर्देश दिए। वन्य जीवों से फसल की रक्षा करना किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी आय पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

 

मंत्री गणेश जोशी ने बैठक में जैविक खेती और परंपरागत फसलों की ओर किसानों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि इससे किसानों की आय में भी वृद्धि हो सकती है। इसके साथ ही, परंपरागत फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।

 

उत्तराखंड में एरोमा सेक्टर में अपार संभावनाएं हैं। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अधिक से अधिक किसानों को एरोमा खेती से जोड़ने के लिए प्रयास करें। एरोमा खेती न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगी, बल्कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

 

मंत्री ने तराई वाले क्षेत्रों में मक्के की खेती को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज, काशीपुर और खटीमा में मक्के के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही, मंडवा और झिंगोरा के उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

 

मंत्री गणेश जोशी ने कृषि विभाग और ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को संयुक्त बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए, ताकि कृषि और ग्राम्य विकास से संबंधित योजनाओं को मिलाकर सुनियोजित ढंग से कार्य किया जा सके। उन्होंने क्लस्टर आधारित खेती को भी बढ़ावा देने के निर्देश दिए, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिल सके।

 

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों की ई-केवाईसी कराए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए। मंत्री ने ई-केवाईसी हेतु जागरूकता अभियान और सेमिनार आयोजित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि अधिक से अधिक किसान इस योजना का लाभ उठा सकें।

 

बागवानों और कृषकों के लिए ढूलान हेतु रोप-वे निर्माण का कार्य शीघ्र किए जाने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा, फसल बीमा के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।

 

मंत्री ने फार्म मशीनरी बैंक की प्रगति की जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि अब तक 2500 से अधिक फार्म मशीनरी बैंक तैयार किए जा चुके हैं, जो किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों की सुविधा प्रदान करते हैं।

 

कृषि मंत्री गणेश जोशी की इस समीक्षा बैठक से यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठा रही है। वन्य जीवों से फसल क्षति की समस्या का समाधान, जैविक और परंपरागत खेती को बढ़ावा, एरोमा सेक्टर में संभावनाएं, मक्का और मंडवा-झिंगोरा की खेती, संयुक्त बैठकें, क्लस्टर आधारित खेती, ई-केवाईसी जागरूकता अभियान, रोप-वे निर्माण और फसल बीमा जैसी योजनाओं पर काम करके सरकार किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को सुधारने के प्रयास कर रही है। इन सभी प्रयासों से राज्य के कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

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