त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान पर कांग्रेस का पलटवार: राज्य सरकार की असफलताओं का ठीकरा अफसरों के सर फोड़ना गलत
उत्तराखंड की राजनीति में फिर से उथल-पुथल मच गई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान पर तीखा पलटवार किया है। धस्माना का कहना है कि राज्य सरकार की असफलताओं का ठीकरा अधिकारियों के सर फोड़ना अनुचित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं और वनाग्नि जैसी समस्याओं के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार जिम्मेदार है।
धस्माना ने अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा, “भाजपा नेता श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शायद यह भूल गए हैं कि वे वर्ष 2017 से वर्ष 2021 तक चार वर्ष से मात्र 9 दिन कम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। शायद उन्हें यह भी इल्म नहीं है कि आज भी उत्तराखंड में भाजपा की सरकार चल रही है जिसके मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी हैं। अन्यथा वे उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं के चरमराने का आरोप अधिकारियों के सर नहीं मढ़ते।”
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने एक बयान में राज्य में चल रही चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाओं के लिए अधिकारियों को दोषी ठहराया था। उन्होंने कहा था कि अगर उनके द्वारा बनाया गया देवस्थानम बोर्ड भंग न किया जाता तो यात्रा में अव्यवस्थाएं नहीं होतीं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए धस्माना ने कहा, “पूर्व मुख्यमंत्री को यह पता होना चाहिए कि राज्य में एक निर्वाचित सरकार है जो लोकतंत्र में सर्वोपरि होती है और कार्यपालिका उसके अधीन रहकर उसके आदेशों का पालन करती है।”
धस्माना ने कहा कि प्रदेश में एक तीर्थाटन व पर्यटन मंत्री है और इसका पूरा एक विभाग है जो एक स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री देख रहा है। अगर चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाएं हैं, तो इसके लिए पूरी तरह से जवाबदेही राज्य सरकार और पर्यटन मंत्री की है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अव्यवस्थाओं के लिए अधिकारियों को दोषी बता रहे हैं और इसका एक प्रमुख कारण देवस्थानम बोर्ड का भंग किया जाना बता रहे हैं।
धस्माना ने कहा, “असल में पूर्व मुख्यमंत्री अपनी पुरानी टीस भुला नहीं पा रहे हैं, जो उन्हें हटा कर पहले तीरथ सिंह जी को और बाद में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया। श्री धामी द्वारा देवस्थानम बोर्ड भंग कर दिया गया जिसे श्री त्रिवेंद्र सिंह भुला नहीं पा रहे।”
उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड हो या बीकेटीसी या पर्यटन विभाग, राज्य में चारधाम और तीर्थ यात्राओं की व्यवस्थाओं का जिम्मा राज्य सरकार का है। अगर राज्य की चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाएं हो रही हैं, तो पूर्व मुख्यमंत्री को इसके बारे में सीधे राज्य के मुख्यमंत्री से मिलकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की मांग करनी चाहिए।
धस्माना ने कहा, “पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह सत्ताधारी दल के वरिष्ठ नेता हैं और अभी संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में हरिद्वार से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े हैं। इसलिए उन्हें विपक्षी पार्टी के नेता की तरह बयानबाजी करने की बजाय राज्य की सरकार के जिम्मेदारों से बातचीत कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करवाना चाहिए।”
धस्माना ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारियों से मुंह मोड़कर अधिकारियों को दोषी ठहराना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। यह जनता के साथ धोखा है और इससे राज्य की छवि भी धूमिल होती है। राज्य के विकास और सुचारू व्यवस्थाओं के लिए सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से बचना चाहिए।
त्रिवेंद्र सिंह रावत और राज्य सरकार के बीच चल रही इस खींचतान ने उत्तराखंड की राजनीतिक परिदृश्य को गर्मा दिया है। जहां एक ओर रावत सरकार की नीतियों और निर्णयों का बचाव कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने उन पर तीखे प्रहार कर उन्हें उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाई है। आने वाले समय में देखना होगा कि इस राजनीतिक दांव-पेच का उत्तराखंड की जनता और राज्य की व्यवस्थाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है।