सीएम की छवि को धूमिल करने के आरोप मे भाजपा ने दर्ज कराया मुकदमा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की छवि धूमिल करने के आरोप में देहरादून के डालनवाला थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया है। भाजपा का आरोप है कि आप की सोशल मीडिया सेल ने मुख्यमंत्री धामी के एक बयान को एडिट कर सोशल मीडिया पर प्रसारित किया, जिससे उनकी और भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई।
इस पूरे मामले को लेकर भाजपा आईटी विभाग के प्रदेश सह संयोजक प्रवीण लेखवार ने एफआईआर दर्ज करवाई। उनका आरोप है कि आप पार्टी ने एक वीडियो को एडिट कर सोशल मीडिया पर प्रसारित किया है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री धामी के एक बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया है। वीडियो में दिखाया गया है कि मुख्यमंत्री धामी महिलाओं द्वारा भाजपा के बहिष्कार की बात स्वीकार रहे हैं। यह वीडियो आम आदमी पार्टी के नाम से इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया गया, जो आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
भाजपा का कहना है कि इस तरह के कृत्य लोकसभा चुनाव को अनुचित तरीके से प्रभावित करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। इस पोस्ट के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी और भाजपा की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है। पार्टी ने अपने आरोपों के समर्थन में साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं और इस संबंध में उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
आदर्श चुनाव आचार संहिता के तहत किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी प्रकार की गलत या भ्रामक सूचना फैलाने की अनुमति नहीं होती है। इसके बावजूद, भाजपा का आरोप है कि आप पार्टी ने इस नियम का उल्लंघन किया है। उन्होंने चुनाव आयोग से भी इस मामले में संज्ञान लेने की अपील की है।
यह पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया का इस तरह से दुरुपयोग हुआ है। इससे पहले भी कई बार विभिन्न राजनीतिक दलों के खिलाफ इस तरह के आरोप लगते रहे हैं। सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की गलत सूचना फैलाना न केवल अवैध है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी नुकसान पहुंचाता है।
इस मामले को लेकर भाजपा और आप के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। जहां एक ओर भाजपा ने आप पर गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं दूसरी ओर आप ने इन आरोपों को निराधार बताया है। इस मामले की सच्चाई क्या है, यह जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से चुनावी राजनीति में नैतिकता और सत्यता के महत्व को उजागर किया है।
इस प्रकार की घटनाएं यह साबित करती हैं कि चुनावी राजनीति में सोशल मीडिया का महत्व बढ़ता जा रहा है और इसके साथ ही इसकी निगरानी और नियमन की आवश्यकता भी बढ़ रही है। उम्मीद है कि इस मामले में सच्चाई सामने आएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।